ईद-ए-मिलादुन्नबी पर मुए मुबारक और टोपी मुबारक की ज़ियारत से जश्न की रौनक


 

ईद-ए-मिलादुन्नबी पर मुए मुबारक और टोपी मुबारक की ज़ियारत से जश्न की रौनक

रुड़की में होगा ‘जश्न-ए-ख़ैरुल वरा’ — मुए मुबारक की ऐतिहासिक ज़ियारत से रोशन होगा शहर

रुड़की। ( मौ.गुलबहार गौरी) शहर-ए-रुड़की इस साल रबी-उल-अव्वल की पुरनूर फ़िज़ाओं में एक ऐसा ऐतिहासिक लम्हा देखने जा रहा है, जिसे सुनकर हर अकीदतमंद का दिल धड़क उठेगा। 3 सितम्बर से 6 सितम्बर तक अंजुमन ग़ुलामाने मुस्तफ़ा सोसाइटी (रुड़की चैप्टर) की जानिब से ‘जश्न-ए-ख़ैरुल वरा’ का छठा सीज़न नूरानी रौनकों से सजाया जाएगा। इस जश्न की सबसे ख़ास बात यह होगी कि रुड़की के इतिहास में पहली बार हुज़ूर-ए-अकरम ﷺ के मुए मुबारक (दाढ़ी-ए-पाक के मुबारक बाल) और ख़्वाजा-ए-हिन्द, हज़रत ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती अजमेरी रहमतुल्लाह अलैह की टोपी मुबारक की ज़ियारत कराई जाएगी।

रहमतों से सजी चार दिन की रौनक

अंजुमन के अध्यक्ष कुंवर शाहिद ने बताया कि रबी-उल-अव्वल की 12 तारीख़—यानी 5 सितम्बर—वह दिन है जब रहमतल़्लिल-आलमीन ﷺ इस दुनिया में तशरीफ़ लाए। उनकी सीरत इंसाफ़, रहम, सच्चाई और मोहब्बत का ऐसा मुकम्मल पैग़ाम है जिसने इंसानियत को नई राह दिखाई। जश्न-ए-मिलाद दरअसल उसी अमन, शफ़क़त और इंसानियत की ताज़ा याद है।

इस मौके पर कार्यक्रम संयोजक अमजद उस्मानी ने चार दिन के प्रोग्राम की तफ़्सीलात पेश करते हुए कहा कि यह जश्न सिर्फ़ महफ़िलों तक महदूद नहीं रहेगा, बल्कि इंसानी ख़िदमत और समाजी हमदर्दी को भी साथ लेकर चलेगा।

3 सितम्बर – ख़िदमत-ए-ख़ल्क़ (रक्तदान शिविर):

आयोजन की शुरुआत खिदमत-ए-ख़ल्क़ से होगी। उमर एन्क्लेव में रक्तदान कैंप का इंतज़ाम किया जाएगा, जिसमें नौजवानों समेत तमाम शहरियों को दान देने की दावत दी जाएगी। कहा गया कि किसी की ज़िन्दगी बचाना इंसानियत की सबसे बड़ी नेकी है।

4 सितम्बर – फल वितरण:

दूसरे दिन अंजुमन के वालंटियर्स शहर के अस्पतालों में दाख़िल मरीज़ों और उनके परिजनों को फल वितरित करेंगे। यह रस्म सिर्फ़ तहरीक नहीं बल्कि सीरत-ए-नबी ﷺ का अमली इज़हार है, जिसमें बीमार का हाल पूछना और उसकी देखभाल करना इबादत का दर्जा रखता है।

5 सितम्बर / 12 रबी-उल-अव्वल – जश्न का शबाब:

सुबह का आग़ाज़ उस वक़्त होगा जब रामपुर से कलियर शरीफ़ जाने वाली साबिर पाक की चादर ले जाने वाले जत्थे का उमर एन्क्लेव गेट पर पुरशान-ओ-शौकत इस्तक़बाल किया जाएगा। उसी वक़्त आम लोगों के लिए सड़क पर ही शाकाहारी लंगर बांटा जाएगा—जो बराबरी, भाईचारे और मेहमाननवाज़ी की अलामत है।

शाम के वक़्त जश्न की रौनक अपने उरूज पर होगी। पीलीभीत से तशरीफ़ लाए सय्यद डॉ. बिलाल मियां साहब की सदारत में एक रुहानी महफ़िल-ए-समां होगी। लखनऊ के मशहूर क़व्वाल कमर वारसी अपने अंदाज़-ए-बयां में नातिया कलाम और क़व्वालियाँ पेश करेंगे। दरूदो-सलाम और नग़्मों की रवानी से महफ़िल एक यादगार शाम बनेगी।

6 सितम्बर – नात-ए-पाक कम्पटीशन:

आख़िरी दिन यानी 6 सितम्बर को दोपहर 2 बजे से शाम 5 बजे तक नगर निगम हॉल में नात-ए-पाक का कम्पटीशन आयोजित किया जाएगा। इसमें शहर और आसपास के मदरसों के बच्चे व तालिब-ए-इल्म हिस्सा लेंगे। यह प्रतियोगिता रुड़की के इतिहास में पहली बार हो रही है, जिसका मक़सद नई नस्ल को सीरत-ए-नबी ﷺ से जोड़ना और उनके दिलों में मोहब्बत-ए-रसूल पैदा करना है।

ऐतिहासिक ज़ियारत – मुए मुबारक की बरकतें

जश्न की रूहानी रौनक उस वक़्त अपने उरूज पर होगी जब रुड़की के लोग पहली बार हुज़ूर ﷺ के मुए मुबारक और ख़्वाजा-ए-हिन्द की टोपी मुबारक की ज़ियारत करेंगे। यह ज़ियारत हर दिल में नर्मी, विनम्रता और अदब पैदा करती है। इंतज़ामिया ने तमाम अकीदतमंदों से गुज़ारिश की है कि ज़ियारत के वक़्त धक्का-मुक्की से बचें, खामोशी और सुकून के साथ दरूदो-सलाम पेश करें और वालंटियर्स के इशारों का लिहाज़ करें।

जश्न का मक़सद – अमन, मोहब्बत और इंसानियत

संस्था के वालंटियर आसिफ अली उर्फ़ हैदर ने बताया कि ‘ख़ैरुल वरा’ का मतलब है “मख़लूक़ात में सबसे बेहतरीन”—यानी हुज़ूर ﷺ। इसी नाम के साये में होने वाली हर कोशिश दरअसल उन्हीं की सुन्नत की याद है, जहाँ पड़ोसी का हक़, मुसाफ़िर का सुकून और कमज़ोर की मदद पहले आती है। यही जश्न का असल मक़सद है—रुड़की में अमन, मोहब्बत और इंसाफ़ का माहौल बढ़ाना।

इंतज़ाम और दुआएँ

पूरे कार्यक्रम में वालंटियर्स की टीमें रास्ता-दर्शन, लाइन-मैनेजमेंट और सफ़ाई पर तैनात रहेंगी। शिरकत करने वालों से गुज़ारिश की गई है कि पार्किंग और ट्रैफ़िक नियमों का ख़्याल रखें, पड़ोसियों को तकलीफ़ न दें और माहौल को पारिवारिक व आरामदह बनाएँ।

जश्न की आख़िरी रात एक ख़ास दुआ की जाएगी—अमन-ओ-सलामती, मुल्क की तरक़्क़ी और मिल्लत की ख़ुशहाली के लिए। दुआ यही होगी कि अल्लाह तआला हमारे अमल में सच्चाई, ज़बान में नरमी और दिलों में मोहब्बत पैदा करे।

इस मौके पर शहज़ाद मलिक, आरिफ नियाज़ी, इनाम साबिर, गुड्डू साबरी बाबा, ज़ुल्फ़िकार अहमद, आदिल गौड़, नसीम मलिक, शाहिद नूर, रिज़वान अली समेत कई शहर के नामवर लोग मौजूद रहे और इस जश्न को शहर की एक बड़ी तहरीक करार दिया।

रुड़की अब चार दिन तक नूरानी नग़्मों, दरूदो-सलाम और मोहब्बत-ए-रसूल की ख़ुशबू से रोशन रहेगा।


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