सिखों की इंसानियत और ख़िदमत-ए-ख़ल्क़ , इंसानियत का तक़ाज़ा आज हमारी बारी है, मदद के रास्ते – फ़र्ज़ अदा करने का मौक़ा
मौलाना उस्मान लुधियानवी – राहत का पैग़ाम, इंसानियत ज़िंदा रहेगी तो मुल्क का वजूद बाक़ी रहेगा
रिपोर्ट- ( मौ. गुलबहार गौरी )
भारत की गंगा-जमुनी तहज़ीब हमेशा से इंसानियत और बराबरी का पैग़ाम देती आई है। जब-जब मुल्क पर कोई आफ़त टूटी है, यहां के लोग मज़हब, जात-पात और ज़ुबान की दीवारें तोड़कर एक-दूसरे के साथ खड़े हुए हैं। आज वही वक़्त फिर लौट आया है। पंजाब, जिसे हिंदुस्तान का अनाज घर कहा जाता है, इस वक़्त भयंकर बाढ़ की तबाही से जूझ रहा है।
नदियाँ उफान पर हैं, गाँव-गाँव पानी में डूबे पड़े हैं, घर उजड़ चुके हैं, किसान तबाही के मुहाने पर खड़े हैं और लाखों लोग बेघर व बेसहारा हो गए हैं। यह हालात सिर्फ़ पंजाब की नहीं, बल्कि पूरे हिंदुस्तान की अज़्माइश हैं। क्योंकि पंजाब ने हर मुश्किल वक़्त में इंसानियत की मिसाल पेश की है। आज वही पंजाब मदद की पुकार कर रहा है, तो क्या हम चुप रह सकते हैं?
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सिखों की इंसानियत और ख़िदमत-ए-ख़ल्क़
सिख क़ौम की पहचान सिर्फ़ उनकी बहादुरी से नहीं, बल्कि उनकी ख़िदमत-ए-ख़ल्क़ (जन सेवा) से भी होती है। इतिहास गवाह है कि जब-जब गरीबों, मज़लूमों और बेसहारा लोगों पर सितम ढाए गए, सिख भाइयों ने आगे बढ़कर मदद की।
दिल्ली की गलियों से लेकर पंजाब के खेतों तक, किसान आंदोलनों से लेकर कोविड महामारी तक – हर जगह देखा गया कि गुरुद्वारे की लंगर परंपरा ने लाखों भूखों का पेट भरा। किसान आंदोलन की तस्वीरें आज भी ताज़ा हैं, जब महीनों तक सिख भाइयों ने अपने हक़ की लड़ाई लड़ते हुए हर मज़लूम इंसान को खाना, दूध, चाय, नाश्ता और आश्रय मुहैया कराया।
सर्दियों की ठिठुरती रातों में जब हज़ारों किसान सड़कों पर बैठे थे, तब सिख नौजवान गरमा-गरम चाय और परांठे बाँट रहे थे। यह महज़ सेवा नहीं थी, बल्कि इंसानियत का वो पैग़ाम था जिसे दुनिया ने सलाम किया।
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पंजाब की मौजूदा त्रासदी
आज वही पंजाब तबाही की मार झेल रहा है। लगातार बारिश और बाढ़ ने फसलों को डुबो दिया है। खेत, जो कभी सोने की तरह लहलहाते थे, आज पानी में समा गए हैं। गाँवों की गलियों में सिर्फ़ कीचड़ और मायूसी है।
मकान ढह चुके हैं, रोज़गार छिन चुका है और लाखों लोग खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं। बच्चों की मासूमियत अब खौफ़ में बदल चुकी है। बुज़ुर्ग आसमान की तरफ़ बेबसी से देख रहे हैं। औरतें अपने घर-आँगन की तबाही पर आंसू बहा रही हैं। ऐसे में पंजाब की आवाज़ पूरे मुल्क से मदद माँग रही है।
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इंसानियत का तक़ाज़ा
यह वो वक़्त है जब हमें याद रखना चाहिए कि इंसानियत सबसे बड़ा मज़हब है। जब सिख भाइयों ने हर हिंदुस्तानी को किसान आंदोलन में और मुश्किल हालात में चाय-नाश्ता से लेकर दवाइयाँ तक दीं, तो आज हमारा भी फ़र्ज़ है कि हम उनके साथ खड़े हों।
पंजाब की मदद करना सिर्फ़ रहम-दिली नहीं, बल्कि हमारी ज़िम्मेदारी है। यह हमारी तहज़ीब, हमारी गंगा-जमुनी संस्कृति और हमारी साझा इंसानियत का हिस्सा है।
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शाही इमाम मौलाना उस्मान लुधियानवी की अपील
पंजाब के शाही इमाम मौलाना उस्मान लुधियानवी ने कहा कि हमेशा सिख क़ौम ने गरीबों और बेसहारों की मदद की है, आज उनका साथ देना हम सबकी जिम्मेदारी है। मौलाना ने पंजाब के मदरसों,मस्जिदों को बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए खोलने व इमामों से अपील की कल 5 सितंबर को 12 वफात सादगी से मनाए और उससे बचने वाली रकम से ज़रूरत का सामान लेकर किसानों और प्रभावित परिवारों की मदद करें । मौलाना उस्मान ने मदद के लिए हाथ बढ़ाया है और अपील की है कि हर इंसान इंसानियत के नाते मदद करे।
उन्होंने कहा, “आज पंजाब की सरज़मीं हमसे आवाज़ लगा रही है। हमने तुम्हारे लिए लंगर सजाए, अब हमारे लिए भी दुआओं के साथ मदद का हाथ बढ़ाओ।”
जिन्हें मदद करनी हो वे मौलाना उस्मान लुधियानवी के AHRAR FOUNDATION के माध्यम से दान कर सकते हैं।
AHRAR FOUNDATION
Ac no. 50200072128360
IFSC Code: HDFC0001320
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मदद के रास्ते
1. आर्थिक सहयोग – हर कोई अपनी हैसियत के मुताबिक़ दान दे सकता है। छोटी सी मदद भी किसी परिवार के लिए बड़ी राहत साबित हो सकती है।
2. राहत सामग्री – कपड़े, खाने-पीने की चीज़ें, दवाइयाँ और ज़रूरत का सामान भेजा जा सकता है।
3. सोशल मीडिया का इस्तेमाल – आवाज़ को दूर तक पहुँचाने के लिए सोशल मीडिया पर इस मुहिम को साझा करें।
4. स्वयंसेवी योगदान – बहुत से संगठन ज़मीनी स्तर पर काम कर रहे हैं। जो लोग समय निकाल सकते हैं, वे सीधे जाकर सेवा कर सकते हैं।
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मुल्क की रूह को ज़िंदा रखना होगा
हिंदुस्तान की पहचान सिर्फ़ ताजमहल या क़ुतुब मीनार से नहीं, बल्कि यहां की इंसानियत और भाईचारे से है। जब गुजरात में भूकंप आया, जब कश्मीर में बाढ़ आई, जब कोविड महामारी ने पूरे देश को हिला दिया—तब पंजाब की सिख बिरादरी ने लंगर और सेवा के जरिए लाखों की जान बचाई।
आज वही लोग मुसीबत में हैं। अगर हम उनकी मदद नहीं करेंगे, तो यह हमारी इंसानियत की हार होगी।
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इंसानियत का पैग़ाम
क़ुरआन से लेकर गुरु ग्रंथ साहिब, गीता से लेकर बाइबल तक हर मज़हब ने इंसानियत को सबसे बड़ा दर्जा दिया है। किसी का मज़हब पूछकर मदद करना इंसानियत की तौहीन है। मदद सिर्फ़ इंसान देखकर की जाती है, और आज इंसानियत हमें पुकार रही है।
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नतीजा
आज पंजाब की सरज़मीं चीख-चीख कर कह रही है—
“हमने तुम्हारे लिए लंगर सजाए, अब हमारे लिए भी मदद का हाथ बढ़ाओ।”
यह वक़्त है कि हर हिंदुस्तानी आगे बढ़े और पंजाब की इस तबाही में अपना फ़र्ज़ अदा करे। याद रखिए, मदद करने वाला हाथ हमेशा ऊपर होता है और यही हाथ इंसानियत को ज़िंदा रखता है।