प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का सपना क्या ऐसे भाजपा विधायकों व नेताओं के सहारे पूरा कर पाएंगे
रुड़की । ( मौ. गुलबहार गौरी) पूर्व विधायक प्रणव सिंह ने शनिवार की रात मौजूदा विधायक उमेश कुमार को माँ-बहन की गालियाँ जिसके बाद ग़ुस्से में विधायक उमेश कुमार प्रणव सिंह के आवास व हवेली पहुँचे जहाँ उन्हें प्रणव सिंह नहीं मिल पाए जिसके बाद उमेश कुमार ने हवेली के बाहर ही खरी-खोटी सुनाने के बाद रात में ही अपने बंगले लौट आए ।
इसके बदले स्वरूप आज रविवार
चार बार के विधायक प्रणव सिंह ने मौजूदा विधायक उमेश कुमार के सरकारी बंगले पर पहुंचते ही कुरसियों पर बैठे लोगों पर थार कार चढ़ाई व 50 से 60 राउंड फायर की , ऑफ़िस स्टाफ़ व वहाँ मौजूद फरयादियो के ऊपर हमला कर दिया ।ऑफ़िस के शीशों में भी गोलियां मारी गई ऑफिस में भी गोलियां दागी व राष्ट्रीय तिरंगे को निशाना बनाकर गोलियाँ दागी गईं ,
उत्तराखंड के हरिद्वार जिले के रुड़की मे शनिवार रात को एक बेहद गंभीर और विवादास्पद घटना घटित हुई, जिसने न केवल राज्य की राजनीति को बल्कि समूचे देश को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या ऐसे नेता भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2047 तक विकसित देश बनाने के सपने को पूरा करने देंगे
लेकिन रविवार को घटनाक्रम ने एक और भयावह रूप लिया। चार बार के विधायक प्रणव सिंह ने बदले की भावना से उमेश कुमार के सरकारी बंगले पर हमला कर दिया। प्रणव सिंह ने अपनी थार गाड़ी से सरकारी बंगले के बाहर बैठे हुए लोगों पर चढ़ाई दी और 50 से 60 राउंड गोलियां चलाईं। गोलीबारी ने वहां मौजूद ऑफिस स्टाफ और फरियादियों को भी नहीं बख्शा ।प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार इससे कई लोग ज़ख़्मी हो गए ।
केवल ऑफिस के शीशों पर ही गोलियाँ नहीं मारी गई बल्कि राष्ट्रीय तिरंगे को भी निशाना बनाकर गोलियां दागी गईं। हालाँकि पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए देहरादून से प्रणव सिंह को गिरफ़्तार कर लिया है प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि क्या पुलिस तिरंगे पर गोली चलाने के आरोप में देशद्रोह के भी मामले में मुक़दमा पंजीकृत करेगी
यह हमला न केवल राजनीति में बढ़ते हिंसक तत्वों को दर्शाता है, बल्कि यह भी सवाल उठाता है कि क्या ऐसे नेता भारत की राजनीति में एक सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना है कि 2047 तक भारत एक विकसित राष्ट्र बने, और इसके लिए उन्होंने “आत्मनिर्भर भारत” और “सपनों का भारत” का आह्वान किया है। लेकिन जब भारतीय राजनीति के भीतर इस तरह की हिंसक घटनाएँ घट रही हों, तो यह सवाल उठता है कि क्या इस तरह के नेता इस उद्देश्य को पूरा करने में सक्षम होंगे।
राजनीतिक हिंसा, व्यक्तिगत आक्रोश और अहंकार के चलते विकास कार्यों को प्राथमिकता नहीं दी जा रही। जब सत्ता पक्ष के नेता इस तरह का व्यवहार करेंगे, तो यह लोकतंत्र और राष्ट्र की भलाई के लिए खतरे की घंटी है। ऐसे नेताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई और बदलाव की आवश्यकता है, ताकि राजनीति का माहौल सुधार जा सके और देश के विकास को गति मिल सके।
इस घटनाक्रम ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत की राजनीति में अभी भी बड़ी चुनौतियाँ हैं। यदि प्रधानमंत्री मोदी के 2047 के सपने को साकार करना है, तो नेताओं को अपनी प्राथमिकताओं को बदलने की आवश्यकता होगी। वे अपनी व्यक्तिगत प्रतिद्वंद्विताओं को पीछे छोड़कर जनता की सेवा में लगें, तभी हम एक विकसित राष्ट्र की ओर कदम बढ़ा सकेंगे।