फॉरएवर लिविंग कंपनी में नौकरी के नाम पर बड़ा फर्जीवाड़ा, तीन युवकों से मारपीट और धमकियां, पुलिस जांच में ढिलाई
ऋषिकेश, 6 अगस्त 2025 ( मौ. गुलबहार गौरी )
मल्टीलेवल मार्केटिंग के नाम पर युवाओं के साथ धोखाधड़ी और शारीरिक उत्पीड़न का गंभीर मामला ऋषिकेश में सामने आया है। फॉरएवर लिविंग प्रोडक्ट्स नाम की एक बहुराष्ट्रीय कंपनी पर नौकरी दिलाने के नाम पर युवाओं से ठगी, मानसिक उत्पीड़न और जानलेवा हमला करने के आरोप लगे हैं। पीड़ित युवकों ने ऋषिकेश थाना पहुंचकर कंपनी के खिलाफ गंभीर धाराओं में शिकायत दर्ज कराई है।
पीड़ितों में सहारनपुर के आशीष सिंह, मुज़फ्फरनगर के अनुज कुमार और नानौता (सहारनपुर) के उज्जवल राणा शामिल हैं। तीनों युवक फॉरएवर लिविंग कंपनी में बतौर प्रशिक्षु शामिल हुए थे। उन्हें ₹19,500 से ₹21,000 के मासिक वेतन का लालच देकर बुलाया गया था। कंपनी ने उन्हें यह विश्वास दिलाया कि वह एक प्रतिष्ठित इंटरनेशनल कंपनी में ऑफिस वर्क करेंगे। लेकिन जैसे ही वे ऋषिकेश पहुंचे, हकीकत कुछ और ही निकली।
युवकों के अनुसार 8 जुलाई को कंपनी जॉइन करने पर पहले उन्हें रहने और खाने के लिए ₹2,500 प्रति सप्ताह जमा कराने को कहा गया। फिर कुछ दिन की “प्रशिक्षण” प्रक्रिया शुरू की गई, जिसमें बताया गया कि कैसे कंपनी की 2CC किट (घरेलू उत्पादों का एक पैकेज) बेचना है और नए लोगों को कंपनी से जोड़ना है। 21 जुलाई को उन्हें सूचित किया गया कि नौकरी तभी मिलेगी जब वे खुद ₹30,000 की किट खरीदें। इतना ही नहीं, यदि वे चार और लोगों को किट बेचते हैं तो उनकी सैलरी ₹35,000 तक हो सकती है।
जब तीनों युवकों ने आर्थिक तंगी का हवाला देते हुए इस योजना से इंकार किया और घर लौटने की बात कही, तो कंपनी का असली चेहरा सामने आया। आरोप है कि कंपनी के वरिष्ठ कर्मचारियों विपुल राठी, शाहरूख, मोन्टी राणा, सावन और सागर ने उन्हें पहले धमकाया, फिर 21 जुलाई की रात लगभग 11:30 बजे उनके ऊपर जानलेवा हमला किया।
हमले में अनुज कुमार के चेहरे, हाथ और पैर में गंभीर चोटें आईं। आशीष सिंह के हाथ, कमर और चेहरे पर गहरी मार लगी जबकि उज्जवल राणा भी बुरी तरह घायल हुए। पीड़ितों ने बताया कि उन्होंने हाथ जोड़कर विनती की, लेकिन हमलावर नहीं रुके। कंपनी के गेस्ट हाउस में ही उनके साथ यह मारपीट की गई।
घटना को लेकर पीड़ितों ने आरोप लगाया है कि यह कोई इकलौती घटना नहीं है। कंपनी में लगातार इसी तरह युवाओं को नौकरी के नाम पर फंसाया जाता है। फर्जी वादों से बुलाकर पहले ब्रेनवॉश किया जाता है, फिर आर्थिक और मानसिक रूप से दबाव बनाकर जबरन मल्टीलेवल मार्केटिंग के जाल में धकेल दिया जाता है। विरोध करने पर मारपीट और धमकियां दी जाती हैं।
इस पूरे मामले में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि फॉरएवर लिविंग कंपनी के मालिक विकास कुमार को पूरी घटना की जानकारी थी, फिर भी उन्होंने कोई हस्तक्षेप नहीं किया।
घटना के बाद तीनों पीड़ित पहले श्यामपुर चौकी पहुंचे, जहाँ से मेडिकल के लिए भेजा गया। जब उन्होंने शिकायत दर्ज कराने की बात की तो उन्हें ऋषिकेश थाने भेज दिया गया। ऋषिकेश थाना प्रभारी को लिखित शिकायत सौंपने के बाद पीड़ितों को रिसीविंग कॉपी देकर घर भेज दिया गया। हालांकि अब तक किसी भी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हुई है।
इस मामले ने एक बार फिर से देश में चल रही उन कंपनियों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं जो मल्टीलेवल मार्केटिंग की आड़ में बेरोजगार युवाओं का शोषण कर रही हैं। बिना किसी सरकारी निगरानी के यह कंपनियां युवाओं को फंसाकर न सिर्फ मानसिक दबाव बना रही हैं, बल्कि जबरन उत्पाद बेचने के लिए मजबूर कर रही हैं।
स्थानीय लोगों और पीड़ितों के परिजनों में इस घटना को लेकर गहरा रोष है। सभी की मांग है कि दोषियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जाए और फॉरएवर लिविंग प्रोडक्ट्स जैसी कंपनियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
अब देखना यह है कि पुलिस इस मामले में कितनी तेजी से जांच करती है और कब तक पीड़ितों को न्याय दिलाया जाता है। यह मामला न सिर्फ बेरोजगारी की पीड़ा को उजागर करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कैसे लालच और मजबूरी का फायदा उठाकर युवाओं को बहकाया जा रहा है।