दाद इलाही रसुमात निभाने वाले विशेष परिवार की दरगाह की बदहाली व वक्फ बोर्ड अध्यक्ष द्वारा दरगाह की आय वाली 5 करोड़ की रकम मदरसों के नाम पर निकालने की चुप्पी पर उठ रहे सवाल,,,?
कलियर। मैं. गुलबहार गौरी
उत्तराखण्ड वक्फ बोर्ड की सबसे ज्यादा आमदनी वाली दरगाह साबीर पाक की आय से लगभग 50 करोड़ की धनराशि से चिन्हित चार या पांच मदरसों के उच्चीकरण के नाम पर लगभग पांच करोड़ रुपये निकालने सम्बन्धी एक प्रस्ताव वक्फ बोर्ड अध्यक्ष के द्वारा दरगाह प्रशासक/जिला अधिकारी हरिद्वार को स्वीकृति हेतु थमाया गया है ,जबकि जिस दरगाह की आय से 5 करोड़ रुपये निकाल ने का मंसूबा वक्फ बोर्ड अध्यक्ष द्वारा बनाया जा रहा है वहां पर आने वाले देश विदेश के श्रद्धालुओं के लिये किसी भी तरीके की सुविधा मुहैया कराना तो बहुत दूर बल्कि हर साल बरसात के दिनों में बारिश का गंदा पानी दरगाह के परिसर में घुस जाता है जिसकी वजह दरगाह की सतह नीची व पानी निकासी को बने नाले ऊंचे हो गए है इस तरह दरगाह का ऊँचीकर्ण करने में भी ना तो वक्फ बोर्ड कोई रुचि ले रहा है ओर ना ही यहां पर अपने आपको दादा इलाही परम्पराओ व रसुमात को अंजाम देने का ढोंग करने वाले परिवार की ही कोई रुचि नहीं है जिससे जायरीनों को अव्यवस्थाओं का शिकार होना पड़ रहा है। जानकारों का कहना तो यहां तक है कि वक्फ बोर्ड अध्यक्ष व विशेष रसुमात का ढोंग करने वाले परिवार में चोर सिपाही का खेल हो रहा है। क्योंकि विशेष परिवार के किसी भी सदस्य को ना ही तो वक्फ बोर्ड ने इस काम के लिये नियुक्त कर रखा है ओर न ही दरगाह प्रशासक/जिला अधिकारी हरिद्वार ने कोई स्वीकृति दी हुई है बस जनता व जायरीनों को गुमराह कर लुकाछिपी का खेल चल रहा है। अब जो मदरसा बोर्ड व सरकार को बजट जारी कर मदरसों के ऊँचीकर्ण का कार्य करना चाहिये था ,वक्फ बोर्ड अध्यक्ष सरकार के दबाव में उस कार्य को दरगाह के दान में आई वक्फ धनराशि से निकालने पर आमादा है लेकिन दादा इलाही रसुमात अदा करने वाले विशेष परिवार के जिम्मेदार अपनी कमजोरी के चलते कुछ भी विरोध करने के मूड में इसलिये नहीं है कि कहीं विरोध करने पर दरगाह की कोठी खाली कर सड़क पर आने को मजबूर न होना पड़ जाए जैसा कि वक्फ बोर्ड अध्यक्ष कई बार इस परिवार को चेतावनी भी दे चुके है। उर्स 2023 से पूर्व विशेष परिवार व वक्फ बोर्ड अध्यक्ष उर्स वाली जमीनों पर मालिकाना हक को लेकर आमने सामने आ चुके थे जिसको लेकर वक्फ बोर्ड अध्यक्ष ने मस्जिस परिसर में एक कार्यक्रम के दौरान विशेष परिवार को सरेआम दरगाह की जमीन व कोठी खाली कराने तक कि सख्त चेतावनी भी सार्वजनिक रूप से दी थी,परन्तु समय गुजरने पर किस तरह का समझौता हुआ जो आज दरगाह की आय वक्फ बोर्ड अध्यक्ष द्वारा की जा रही बन्दरबांट पर विशेष परिवार चुपी साधता नजर आ रहा है।कहीं विशेष परिवार ओर वक्फ बोर्ड अध्यक्ष में कोई गुमनाम समझौता तो नहीं या चुप्पी के मायने क्या है यह तो आने वाला समय ही बता पायेगा,लेकिन इस चुप्पी के मायने पर सवाल उठ रहे है,,,?