हाईकोर्ट नैनीताल के स्थानांतरित करने सम्बंधी 8 मई के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट का स्टे आया
दिल्ली । उत्तराखंड के उत्तर प्रदेश से अलग होने के बाद उत्तराखंड हाईकोर्ट की मुख्य पीठ की स्थापना 9 नवंबर 2000 को नैनीताल में स्थापित की गई थी । जिसे किसी अन्य जगह शिफ्ट करने के लिए सरकार को जमीन खोजने का हाईकोर्ट ने आदेश दिया था. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है।
जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस संजय करोल की अवकाशकालीन पीठ ने हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की याचिका पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता सहित अन्य वकीलों की दलीलें सुनने के बाद नैनीताल हाईकोर्ट के निर्णय पर रोक लगा दी है । पीठ ने सभी पक्षकारों से हल्फ़नामा दाखिल करने के लिए कहा है अब इसकी सुनवाई ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद होगी ।
उत्तराखंड उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन ने उच्च न्यायालय के नैनीताल से बाहर प्रस्तावित स्थानांतरण के विरूद्ध उच्चतम न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका दाखिल की थी। उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन इस अदालत को नैनीताल से बाहर स्थानांतरित करने के कदम का विरोध कर रहा है। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने आठ मई को राज्य सरकार से उच्च न्यायालय को स्थानांतरित किए जाने के लिए सबसे उपयुक्त जगह एक महीने के अन्दर चिन्हित करने को कहा था।
बार एसोसिएशन में इस निर्णय के खिलाफ विरोध फूट पड़ा और तुरंत ही उसने उच्च न्यायालय को नैनीताल के बाहर स्थानांतरित किए जाने के विरूद्ध एक बैठक बुलाई। बार को इस बात का भरोसा दिलाया गया था कि इस आदेश पर दस्तखत नहीं किए गए हैं लेकिन बाद में उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से अदालत को कहीं और स्थानांतरित किए जाने के लिए उपयुक्त जगह ढूंढने को कहा। उच्च न्यायालय ने एक पोर्टल भी बनाया है जिससे इस मुद्दे पर लोग ऑनलाइन अपनी राय दे सकें। इस राय से लोगों का मत स्पष्ट हो जाएगा कि उच्च न्यायालय को नैनीताल से बाहर स्थानांतरित किया जाना चाहिए या नहीं ।
नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले के बाद ये कहा जा रहा था कि हाईकोर्ट कहीं और शिफ्ट हुआ तो जमीन फ्रीज जोन से बाहर हो जाएगी. इससे जमीन की खरीद फरोख्त के साथ ही निर्माण कार्य बढ़ेंगे ।