मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के विकास कार्यों में बाधा बना हरिद्वार का वन विभाग


मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के विकास कार्यों में बाधा बना हरिद्वार का वन विभाग
5.64 किमी लंबे नाले का निर्माण अटका, वन विभाग की निष्क्रियता बनी सबसे बड़ी चुनौती

यही मामला अगर भूमाफ़ियों से संबंधित होता तो घंटों या चंद दिनों में निपटारा किया जा चुका होता 

रुड़की। रिपोर्ट- ( मौ. गुलबहार गौरी) उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में विकास कार्यों को गति देने का प्रयास लगातार जारी है, लेकिन हरिद्वार में एक महत्वाकांक्षी योजना वन विभाग की लापरवाही के चलते अधर में लटक गई है। मा०मु०घो०स० 101/2021 के अंतर्गत आरओबी से बिझोली तक सड़क के दोनों ओर नाले के निर्माण की योजना को 6 मार्च 2024 को स्वीकृति मिली थी। इस योजना का ई-फाइल संख्या 51871/31 है, जिसकी कुल लंबाई 5.640 किलोमीटर है और इसके लिए 1633.29 लाख रुपये की लागत स्वीकृत की गई थी। इस महत्त्वपूर्ण कार्य की जिम्मेदारी लोक निर्माण विभाग (PWD) को सौंपी गई थी।

अक्टूबर 2024 में जब नाले के निर्माण कार्य की शुरुआत हुई, तो निर्माण मार्ग में 52 पेड़ बाधा बनकर सामने आए। नियमानुसार, इन पेड़ों को काटने की अनुमति के लिए पीडब्ल्यूडी द्वारा वन विभाग को रिपोर्ट भेजी गई। लेकिन दुर्भाग्यवश वन विभाग की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। उल्टा, अलग-अलग बहाने बनाकर बार-बार नए दस्तावेज़ों की मांग की जाती रही, जिससे कार्य में रुकावट आती गई।

PWD के जूनियर इंजीनियर अतुल राणा ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए नाले की दिशा को मोड़ते हुए निर्माण कार्य को जैसे-तैसे आगे बढ़ाया। उनकी इस सूझबूझ से 40 पेड़ों को बचाते हुए लगभग 5 किलोमीटर नाले का निर्माण कार्य पूरा कर लिया गया। लेकिन अब भी 12 ऐसे पेड़ सामने हैं, जिनको हटाए बिना शेष नाले का कार्य संभव नहीं है।

बीते सात महीनों से पीडब्ल्यूडी द्वारा लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। वन विभाग से बार-बार संवाद स्थापित करने की कोशिश की गई है, लेकिन विभाग की ओर से कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली है। अधिकारियों का कहना है कि इतनी मेहनत और सरकारी संसाधनों के बावजूद यदि वन विभाग सहयोग न करे, तो यह जनहित के साथ अन्याय है।

इस मामले में जब 9 PMTV के एडिटर इन चीफ ने हरिद्वार के डीएफओ से बातचीत करने की कोशिश की, तो पहले उन्होंने मामले को टालने की कोशिश की और बाद में फोन उठाना ही बंद कर दिया। यह रवैया न सिर्फ गैर-जिम्मेदाराना है, बल्कि जनता की अपेक्षाओं और मुख्यमंत्री की प्राथमिकताओं का भी अपमान है।

स्थानीय निवासियों का कहना है कि यदि योजना मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की है, जिम्मेदारी पीडब्ल्यूडी की है और पेड़ हटाने का अधिकार वन विभाग के पास है, तो यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि एक सरकारी विभाग दूसरे सरकारी विभाग के काम में अड़चन पैदा कर रहा है।यही मामला अगर भूमाफ़ियों से संबंधित होता तो घंटों या चंद दिनों में निपटारा किया जा चुका होता

लोगों में चर्चा है कि क्या हरिद्वार का वन विभाग मुख्यमंत्री की विकास योजनाओं को रोकने का प्रयास कर रहा है ?

इस नाले का निर्माण न केवल जल निकासी के लिए जरूरी है, बल्कि यह योजना क्षेत्र के नागरिकों को जलभराव जैसी गंभीर समस्याओं से निजात दिलाने के लिए भी बेहद जरूरी है। यदि वन विभाग की निष्क्रियता से यह कार्य लंबित रहता है, तो इससे न केवल वित्तीय हानि होगी, बल्कि जनता के विश्वास पर भी आघात पहुंचेगा।

इस पूरे प्रकरण से यह स्पष्ट है कि यदि विभागीय तालमेल और पारदर्शिता न हो, तो कितनी भी बड़ी और जनकल्याणकारी योजना क्यों न हो, वह सिर्फ फाइलों में ही सिमटकर रह जाती है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के ‘विकास के संकल्प’ को मूर्त रूप देने के लिए जरूरी है कि सभी विभाग आपसी समन्वय और उत्तरदायित्व की भावना से कार्य करें।

अब यह देखना शेष है कि क्या मुख्यमंत्री कार्यालय इस मामले का संज्ञान लेकर वन विभाग पर कोई कार्यवाही करेगा या आवश्यक निर्देश देगा या यह योजना अधर में लटकी रहेगी । जनता जो विकास की राह देख रही है, अब सरकार से जवाब की अपेक्षा कर रही है।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Translate »
error: Content is protected !!
Right Menu Icon