वरिष्ठ पत्रकार डॉ. के. विक्रम राव का इंतक़ाल, सहाफ़त ने खोया एक बेहद अहम सुतून
लखनऊ, 12 मई ( मौ.गुलबहार गौरी )— हिंदुस्तानी सहाफ़त का आज एक बड़ा सुतून ढह गया। मुल्क के मारूफ़ और बुज़ुर्ग सहाफ़ी डॉ. के. विक्रम राव का आज सुबह लखनऊ के एक प्राइवेट अस्पताल में इंतक़ाल हो गया। उन्हें सांस लेने में दिक़्क़त की वजह से अस्पताल में दाख़िल कराया गया था, जहाँ सुबह उन्होंने आख़िरी सांस ली। उनके इंतक़ाल की ख़बर से सहाफ़ी बिरादरी में ग़म की लहर दौड़ गई।
डॉ. राव ने कई दशकों तक सहाफ़त के मैदान में अपनी क़लम की ताक़त से समाज को रास्ता दिखाया। उनकी ज़िंदगी बेबाकी, उसूलपसंदी और जद्दोजहद की मिसाल रही। उन्होंने सहाफ़त को एक मिशन के तौर पर अपनाया और कभी भी अपने ज़मीर से समझौता नहीं किया।
बेबाक सहाफ़त के अलम्बरदार
डॉ. के. विक्रम राव ने अपने करियर की शुरुआत ‘टाइम्स ऑफ़ इंडिया’ से की थी, जहाँ उन्होंने मयारी सहाफ़त के उसूलों पर चलते हुए नाम कमाया। बाद में वे ऑल इंडिया फ़ेडरेशन ऑफ़ वर्किंग जर्नलिस्ट्स (IFWJ) के सदर भी रहे। उन्होंने हमेशा सहाफ़ियों के हुक़ूक़, प्रेस की आज़ादी और सामाजिक ज़िम्मेदारियों के लिए आवाज़ बुलंद की। उनकी क़लम कभी झुकी नहीं, चाहे सामने कोई भी ताक़तवर शख़्स या इदारा रहा हो।
हालिया मुलाक़ात मुख्यमंत्री योगी से
कुछ रोज़ पहले ही डॉ. राव ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाक़ात की थी। इस मुलाक़ात में उन्होंने सहाफ़ी बिरादरी को पेश आ रही मुश्किलात और प्रेस की आज़ादी जैसे अहम मुद्दों पर बातचीत की। ये उनकी कमिटमेंट का सुबूत है कि वे अपने आख़िरी वक़्त तक सहाफ़त की बेहतरी और सहाफ़ियों की हिफ़ाज़त के लिए सरगर्म रहे।
अंतिम दीदार के लिए रखा गया पार्थिव जिस्म
उनका पार्थिव जिस्म 703, पैलेस कोर्ट अपार्टमेंट, कांग्रेस दफ़्तर के क़रीब, मॉल एवेन्यू, लखनऊ में अंतिम दीदार के लिए रखा गया है। बड़ी तादाद में सहाफ़ी, अज़ीज़ो-अक़ारिब और अदीब इस मौके पर पहुँचे, ताकि उन्हें आख़िरी बार ख़िराज-ए-अक़ीदत पेश कर सकें। तद्फीन की तफ़सीलात घर वाले जल्द ही जारी करेंगे।
मुल्क भर में मातम
डॉ. राव के इंतक़ाल पर मुल्क की सियासी और सहाफ़ी दुनिया में ग़म का माहौल है। सदर-ए-जम्हूरिया, वज़ीर-ए-आज़म, सूबे के मुख्यमंत्री, और दीगर नामवर हस्तियों ने अफ़सोस का इज़हार किया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने ताज़ियती पैग़ाम में कहा, “डॉ. के. विक्रम राव सहाफ़त के लिए वक़्फ़ एक नाम था। उनकी बेबाकी और दयानतदारी हमेशा याद रखी जाएगी।”
प्रेस काउंसिल ऑफ़ इंडिया, प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया और दीगर सहाफ़ी तंज़ीमें भी उनके इंतक़ाल पर ग़मज़दा हैं और उन्हें ख़िराज-ए-अक़ीदत पेश किया है। सोशल मीडिया पर भी उनके हज़ारों चाहने वालों ने उन्हें याद करते हुए जज़्बाती अल्फ़ाज़ में श्रद्धांजलि पेश की।
एक दरख़्त का गिरना
डॉ. राव का इंतक़ाल यूँ महसूस होता है जैसे कोई मजबूत दरख़्त गिर गया हो। उन्होंने नई नस्ल के सहाफ़ियों को उसूलों और इंसाफ़ के रास्ते पर चलने की राह दिखाई। उनके मज़ामीन और तक़ारीर में हमेशा एक जज़्बा, एक मिशन और एक सच्चाई का रंग झलकता था।
आज जब सहाफ़त सियासी और तिजारती दबावों में घिरी है, डॉ. राव जैसी शख़्सियतों की कमी और भी ज़्यादा महसूस होती है।
आख़िरी बात
डॉ. के. विक्रम राव अब इस दुनिया में नहीं रहे, लेकिन उनका इल्मी व तालीमी विरसा, उनकी सोच और उनका मिशन हमेशा रहनुमाई करता रहेगा। ईश्वर मरहूम को स्वर्ग में आला मुक़ाम अता फरमाए और उनके घर वालों को सब्र-ए-जमील दे।