हरिद्वार नगर निगम जमीन घोटाले में ज़िलाधिकारी समेत एक दर्जन अधिकारी निलंबित


 

हरिद्वार नगर निगम जमीन घोटाले में ज़िलाधिकारी समेत एक दर्जन अधिकारी निलंबित

हरिद्वार नगर निगम भूमि घोटाले में 12 अधिकारियों पर कार्रवाई: विपक्ष ने CBI जांच की मांग की

हरिद्वार।5 जून 2025  (रिपोर्ट-मौ. गुलबहार गौरी) हरिद्वार नगर निगम द्वारा ग्राम सराय में 2.307 हेक्टेयर भूमि की ₹54 करोड़ में खरीद को लेकर हुए घोटाले में उत्तराखंड सरकार ने सख्त कदम उठाते हुए 12 अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर यह कार्रवाई की गई, जिसमें दो आईएएस, एक पीसीएस और अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं।

निलंबित अधिकारियों की सूची:

1) कर्मेन्द्र सिंह – तत्कालीन हरिद्वार नगर निगम प्रशासक एवं वर्तमान जिलाधिकारी (IAS)

2) वरुण चौधरी – तत्कालीन नगर आयुक्त (IAS)

3) अजयवीर सिंह – तत्कालीन उपजिलाधिकारी, हरिद्वार (PCS)

4) निकिता बिष्ट – वरिष्ठ वित्त अधिकारी

5) विक्की – वरिष्ठ निजी सहायक

6) राजेश कुमार – रजिस्ट्रार कानूनगो

7) कमलदास – मुख्य प्रशासनिक अधिकारी, हरिद्वार तहसील

8) संदीप कुमार – सहायक नगर आयुक्त

9) प्रदीप शर्मा – लेखा अधिकारी

10) रमेश चंद्र – नगर निगम अभियंता

11) सुरेश कुमार – भूमि मूल्यांकन अधिकारी

12) मनीषा वर्मा – नगर निगम सचिव

 

घोटाले का खुलासा और कार्रवाई 

यह घोटाला हरिद्वार नगर निगम द्वारा ग्राम सराय में 2.307 हेक्टेयर भूमि की खरीद से संबंधित है, जो एक कचरा डंपिंग साइट के पास स्थित है। इस भूमि को ₹54 करोड़ में खरीदा गया, जबकि इसकी वास्तविक कीमत लगभग ₹15 करोड़ आंकी गई थी।

मुख्यमंत्री धामी ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए सचिव रणवीर सिंह चौहान द्वारा प्रस्तुत प्रारंभिक रिपोर्ट के आधार पर दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए। इसके तहत 12 अधिकारियों को निलंबित किया गया है।

विपक्ष का विरोध और CBI जांच की मांग

कांग्रेस ने इस घोटाले को लेकर सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि यह भ्रष्टाचार उच्च स्तर तक फैला हुआ है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा ने कहा, “यह घोटाला दर्शाता है कि राज्य में भ्रष्टाचार चरम पर है और सरकार की मिलीभगत से ही यह संभव हुआ है।” उन्होंने इस मामले की CBI जांच की मांग की है ताकि निष्पक्ष और पारदर्शी जांच सुनिश्चित की जा सके।

आगे की कार्रवाई

सरकार ने सभी संबंधित बिक्री विलेखों को रद्द करने और भूमि मालिकों से भुगतान की गई राशि की वसूली के आदेश दिए हैं। इसके अलावा, तत्कालीन नगर आयुक्त वरुण चौधरी के कार्यकाल के दौरान हरिद्वार नगर निगम द्वारा किए गए सभी कार्यों का विशेष ऑडिट भी शुरू किया गया है।

विजिलेंस विभाग को इस घोटाले की विस्तृत जांच करने और दोषियों की पूरी श्रृंखला का पता लगाने के निर्देश दिए गए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में एक पारदर्शी, जवाबदेह और भ्रष्टाचार-मुक्त कार्य संस्कृति को बढ़ावा देना सरकार की प्राथमिकता है।

निष्कर्ष

हरिद्वार नगर निगम के इस भूमि घोटाले में सरकार की त्वरित और सख्त कार्रवाई ने यह संदेश दिया है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति केवल शब्दों में नहीं, बल्कि कर्मों में भी लागू की जा रही है। जनता अब उम्मीद कर रही है कि दोषियों को कानून के तहत सख्त सजा मिलेगी और भविष्य में ऐसे घोटालों की पुनरावृत्ति नहीं होगी।


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