Apple का ऐलान: मुरादाबाद के सबीह ख़ान बनाए गए नए COO,


Apple का ऐलान: मुरादाबाद के सबीह ख़ान बनाए गए नए COO, भारतीय नस्ल की दुनिया में बुलंदी

दिल्ली- ( मौ. गुलबहार गौरी ) दुनिया की सबसे मारूफ़ टेक्नोलॉजी कंपनी Apple Inc. ने एक बार फिर ये साबित कर दिया कि हुनर और लगन की कोई सरहद नहीं होती। कंपनी ने भारतीय मूल के सबीह ख़ान को मुख्य संचालन अधिकारी (COO) के ओहदे पर फ़ायज़ करने का फ़ैसला किया है। वो मौजूदा सीओओ जेफ़ विलियम्स की जगह लेंगे, जो साल 2025 के आख़िर में रिटायर हो रहे हैं। सबीह साहब इसी महीने के आख़िर तक अपनी नई ज़िम्मेदारियाँ सँभाल लेंगे।

तीन दशक से Apple की कामयाबी में शामिल
सबीह ख़ान कोई नए शख़्स नहीं हैं Apple के लिए। वो पिछले तीन दशकों से कंपनी के साथ वाबस्ता हैं और इस वक़्त सीनियर वाइस प्रेसिडेंट ऑफ ऑपरेशंस के तौर पर अपनी ख़िदमात अंजाम दे रहे हैं। Apple की दुनिया भर में फैली प्रॉडक्शन यूनिट्स, सप्लाई चैन और क्वालिटी कंट्रोल को सलीक़े से सँभालना उन्हीं की निगरानी में होता है।

उनकी सोच और तरज़-ए-अमल ने Apple की “वक़्त पर डिलीवरी” और “उत्पादन की मयारी निगरानी” को एक नया मुक़ाम अता किया है। टेक्निकल प्लानिंग से लेकर ग्राउंड लेवल अमल तक, सबीह ख़ान का असर वाज़ेह तौर पर महसूस किया जा सकता है।

मुरादाबाद से लेकर अमरीका तक का सफ़र
सबीह ख़ान की कहानी किसी फ़िल्मी किरदार से कम नहीं। सन् 1966 में उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में पैदा हुए सबीह का ताल्लुक़ एक पढ़े-लिखे और ज़हीन ख़ानदान से है। बचपन में ही उनका परिवार सिंगापुर चला गया, और फिर आगे चलकर अमरीका में बस गया।

इल्म से शिद्दत की हद तक मोहब्बत रखने वाले सबीह ने टफ्ट्स यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स और मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डबल ग्रैजुएशन किया। बाद में उन्होंने रेंससेलर पॉलिटेक्निक इंस्टिट्यूट, न्यूयॉर्क से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री हासिल की।

Apple में दस्तक और उरूज की मंज़िलें
सबीह ख़ान ने Apple में सन् 1995 में क़दम रखा। शुरूआती दौर में उन्होंने कंपनी की सप्लाई चैन, लॉजिस्टिक्स और मैन्युफैक्चरिंग सिस्टम को मज़बूत बनाने पर तवज्जो दी। Apple के प्रॉडक्शन को दुनिया के मुख़्तलिफ़ हिस्सों में फैलाने और उसे वक़्त की ज़रूरत के मुताबिक ढालने में सबीह की कारकर्दगी अहम रही।

उन्होंने ना सिर्फ़ टेक्नोलॉजी को बेहतर बनाया, बल्कि वर्क कल्चर और इनोवेशन में भी एक नई रूह फूँकी। उनके तजुर्बे और फ़हम ने Apple को लॉजिस्टिक्स और क्वालिटी के मैदान में दुनिया की सबसे अव्वल कंपनी बना दिया।

भारत के लिए फ़ख्र का मौका

एक छोटे से शहर मुरादाबाद से निकलकर दुनिया की सबसे बड़ी टेक कंपनी के टॉप ओहदे तक पहुँचना, किसी भी हिंदुस्तानी के लिए फ़ख्र की बात है। सबीह ख़ान की कामयाबी ना सिर्फ़ उनके लिए, बल्कि हर उस नौजवान के लिए भी पैग़ाम है जो अपने ख्वाबों को पूरा करने का हौसला रखते हैं।

जेफ़ विलियम्स के बाद नई रहनुमाई

मौजूदा COO जेफ़ विलियम्स, जो CEO टिम कुक के सबसे क़रीबी और भरोसेमंद साथियों में से एक माने जाते हैं, उनके बाद सबीह ख़ान का इस ओहदे पर आना ये भी दिखाता है कि कंपनी की अगली लीडरशिप लाइन में उनका नाम शामिल है।

नतीजा: सबीह ख़ान की ज़िंदगी का सफ़र हम सबके लिए एक मिसाल है – इल्म, मेहनत और सच्ची लगन से कोई भी बुलंदी हासिल की जा सकती है। उनकी ताजपोशी Apple के COO के तौर पर इस बात की गवाही है कि हिंदुस्तानी नस्लें सिर्फ़ माज़ी की शान नहीं, बल्कि मुस्तक़बिल की रहनुमा भी हैं।


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