बिहार सरकार ने पत्रकार पेंशन में की ढाई गुना बढ़ोतरी, IFWJ ने की मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सराहना
पटना, 29 जुलाई।( मौ. गुलबहार गौरी )
बिहार सरकार द्वारा राज्य के वरिष्ठ पत्रकारों को दी जाने वाली पेंशन में ढाई गुना वृद्धि करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया गया है। इस फैसले का पत्रकार संगठनों और मीडिया जगत में जोरदार स्वागत किया गया है। इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स (IFWJ) ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को धन्यवाद देते हुए इस फैसले को पत्रकार हितैषी और समय की मांग बताया है।
सरकार के इस निर्णय के तहत अब पत्रकार पेंशन की राशि ₹6,000 से बढ़ाकर ₹15,000 प्रतिमाह कर दी गई है। यह बढ़ोतरी राज्य के उन पत्रकारों के लिए राहत लेकर आई है, जिन्होंने अपने जीवन के बहुमूल्य वर्ष जनसेवा और लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की रक्षा में बिताए हैं। अब तक उन्हें नाममात्र की पेंशन पर गुजर-बसर करना पड़ता था, लेकिन सरकार के इस कदम ने उनके सम्मानजनक जीवन यापन का मार्ग प्रशस्त किया है।
इस सराहनीय पहल पर इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स के शीर्ष पदाधिकारियों ने सरकार का आभार प्रकट किया है। संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष अवधेश भार्गव ने कहा कि बिहार सरकार ने पत्रकारों के प्रति अपनी संवेदनशीलता और जवाबदेही को सिद्ध किया है। उन्होंने कहा कि यह निर्णय पत्रकारिता की गरिमा को सम्मान देने वाला है और अन्य राज्यों के लिए भी प्रेरणा बनना चाहिए।
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मौ. गुलबहार गौरी ने इस फैसले को “ऐतिहासिक और प्रशंसनीय” करार दिया। उन्होंने कहा कि पत्रकारों ने हमेशा जनहित के मुद्दों को प्रमुखता से उठाया है, चाहे वह सत्ता के समर्थन में हो या विरोध में। ऐसे में उनके बुढ़ापे की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी समाज और सरकार की होती है, जिसे बिहार सरकार ने निभाया है।इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स ने यह भी मांग की है कि पेंशन योजना की प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाया जाए, जिससे योग्य पत्रकार बिना किसी भेदभाव और देरी के इस लाभ का पात्र बन सकें। साथ ही उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि पत्रकारों के लिए चिकित्सा सुविधा, बीमा और आपातकालीन सहायता जैसी योजनाओं पर भी सरकार को गंभीरता से विचार करना चाहिए।
फेडरेशन के राष्ट्रीय महासचिव इरशाद खान ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को धन्यवाद देते हुए कहा कि यह निर्णय न केवल आर्थिक राहत देगा, बल्कि वरिष्ठ पत्रकारों को समाज में सम्मान के साथ जीने का आत्मविश्वास भी प्रदान करेगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि देश के अन्य राज्य भी इस फैसले से प्रेरणा लेकर अपने यहाँ पत्रकार पेंशन योजना को बेहतर बनाएंगे।
इसी क्रम में राष्ट्रीय सचिव सुधांशु कुमार, एस. एन.शयाम,अनमोल कुमार, अवधेश कुमार शर्मा और भोला प्रसाद ने भी इस पहल की खुलकर सराहना की। सभी पदाधिकारियों ने संयुक्त रूप से एक बयान जारी कर कहा कि यह निर्णय लंबे समय से पत्रकार संगठनों की प्रमुख मांग रही है, जिसे अब जाकर साकार किया गया है।
बयान में कहा गया कि कई वरिष्ठ पत्रकार अपने जीवन के अंतिम पड़ाव में आर्थिक तंगी से जूझते हैं। उन्हें न तो किसी बीमा का लाभ मिलता है, न ही पेंशन जैसी सामाजिक सुरक्षा। ऐसे में बिहार सरकार का यह कदम सिर्फ वित्तीय राहत नहीं, बल्कि पत्रकारों के प्रति गहरी संवेदनशीलता का प्रतीक है।
इसके अतिरिक्त, बिहार के अन्य पत्रकार संगठनों ने भी इस फैसले का स्वागत किया है। राज्य स्तर पर काम कर रहे अनेक मीडिया संगठनों और प्रेस क्लबों ने इसे एक सकारात्मक पहल बताते हुए नीतीश सरकार को बधाई दी है।
कई वरिष्ठ पत्रकारों ने सोशल मीडिया के माध्यम से भी अपनी प्रतिक्रिया देते हुए लिखा कि यह फैसला पत्रकार समाज के लिए उम्मीद की किरण लेकर आया है। उन्होंने कहा कि इस फैसले ने पत्रकारों को यह भरोसा दिलाया है कि उनकी सेवाओं की कद्र की जा रही है और सरकार उनके कल्याण के प्रति जागरूक है।
उल्लेखनीय है कि इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स देश का सबसे पुराना और बड़ा पत्रकार संगठन है, जो लंबे समय से पत्रकारों के हितों के लिए संघर्ष करता आ रहा है। संगठन ने एक बार फिर साबित किया है कि वह सिर्फ आवाज़ उठाने में ही नहीं, बल्कि सकारात्मक बदलाव लाने में भी अग्रणी भूमिका निभाता है।
अंत में, इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से अनुरोध किया है कि इस निर्णय को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए जल्द अधिसूचना जारी की जाए और साथ ही पेंशन प्रक्रिया में डिजिटल ट्रैकिंग जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग कर इसे सुचारु बनाया जाए।
यह निर्णय न केवल बिहार के पत्रकारों के लिए राहत का कारण बना है, बल्कि पूरे देश में पत्रकार कल्याण की दिशा में एक मिसाल कायम की है।
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