लखनऊ । ( शहरयार खान )
लखनऊ। यहां के वर्तमान सांसद देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को भाजपा ने लगातार तीसरी बार उम्मीदवार बनाया है।
उत्तर प्रदेश की लखनऊ लोकसभा सीट देश की सबसे चर्चित सीटों में शामिल रही है।
पूर्व प्रधानमंत्री स्व0अटल बिहारी वाजपेयी लगातार पांच बार यहां से सांसद रहे हैं। उनके समय से ही इस सीट पर भाजपा का दबदबा रहा है। यहां के वर्तमान सांसद देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह हैं। भाजपा ने लगातार तीसरी बार राजनाथ सिंह को उम्मीदवार बनाया है। जबकि सपा ने इस बार रविदास मेहरोत्रा पर दांव लगाया है। वहीं बसपा ने अपने कोर वोटर के साथ अल्पसंख्यक मतदाताओं को रिझाने के लिए सरवर मलिक को चुनावी रण में उतारा है।
इस बार यहां लड़ाई लगातार आठ बार से जीत हासिल कर रही भाजपा को अपना गढ़ बचाने की है और राजनाथ सिंह को अपने खुद की जीत की हैट्रिक लगाने की है। वहीं विपक्षी खेमा भाजपा के मजबूत किला को तोड़ने की तैयारी कर रहा है। अगर लोकसभा चुनाव 2019 की बात करें तो भाजपा के राजनाथ सिंह ने सपा बसपा के संयुक्त उम्मीदवार रहे अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा की पत्नी पूनम सिन्हा को 3,47,302 वोट से हराकर जीत हासिल की थी। इस चुनाव में राजनाथ सिंह को 6,33,026 और पूनम सिन्हा को 2,85,724 वोट मिले थे। जबकि कांग्रेस के आचार्य प्रमोद कृष्णम को 1,80,011 वोट मिले थे। वहीं लोकसभा चुनाव 2014 में मोदी लहर के दौरान इस सीट पर पहली बार राजनाथ सिंह उतरे और कांग्रेस के दिग्गज नेत्री रहे रीता बहुगुणा जोशी को 2,72,749 वोट से हराकर
रीता बहुगुणा जोशी को 2,72,749 वोट से हराकर जीत हासिल की थी। इस चुनाव में राजनाथ सिंह को 5,61,106 और रीता बहुगुणा जोशी को 2,88,357 वोट मिले थे। जबकि बसपा के नकुल दुबे को 64,449 और सपा के अभिषेक मिश्रा को 56,771 वोट मिले थे। वहीं आम आदमी पार्टी के सैयद जावेद अहमद जाफ़री को 41,429 वोट मिले थे।
यहां जानें लखनऊ लोकसभा क्षेत्र के बारे में
लखनऊ लोकसभा क्षेत्र का निर्वाचन संख्या 35 है। यह लोकसभा क्षेत्र 1952 में अस्तित्व में आया था। इस लोकसभा क्षेत्र का गठन लखनऊ जिले के लखनऊ पश्चिम, लखनऊ उत्तर, लखनऊ पूर्व, लखनऊ मध्य और लखनऊ कैंट विधानसभा क्षेत्रों को मिलाकर किया गया है।
लखनऊ लोकसभा के 5 विधानसभा सीटों में से 3 पर भाजपा और 2 पर सपा का कब्जा है। यहां कुल 20,40,367 मतदाता हैं। जिनमें से 9,43,815 पुरुष और 10,96,455 महिला मतदाता हैं। लोकसभा सीट पर 2019 में हुए चुनाव में कुल 11,16,445 यानी 54.72 प्रतिशत मतदान हुआ था।
लखनऊ लोकसभा क्षेत्र का राजनीतिक इतिहास
लखनऊ शहर की खासियत के बारे में यहां के मशहूर शायर अजीज लखनवी ने लिखा है-‘वो आबो-हवा, वो सुकून, कहीं और नहीं मिलता। मिलते हैं बहुत शहर, मगर लखनऊ-सा नहीं मिलता’। वाकई इस शहर के आबो-हवा और सुकून के चर्चे तो दुनियाभर में मशहूर हैं। इसी के लिए लोग यहां खिंचे चले आते हैं। शहर की तरह यहां की सियासत का भी एक अलग आकर्षण रहा है।
खांटी नेताओं से लेकर फिल्म स्टार, कवि, शायर और राजघरानों के लोगों ने लखनऊ लोकसभा सीट से हाथ आजमाया है। लेकिन यहां की जनता का मिजाज कुछ जुदा ही रहा। आनंद नारायण मुल्ला जैसे शायर को तो संसद भेज दिया। लेकिन फिल्म स्टार और राजा-महाराजा रास नहीं आए। यहां 6 बार कांग्रेस जीत चुकी है। उसके बाद 1991 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से भाजपा की जीत का जो सिलसिला शुरू हुआ, वह अब तक ‘अटल’ है। तब से लगतार आठ बार भाजपा ने जीत दर्ज की है।
लखनऊ लोकसभा सीट के चुनावी मुद्दे
प्रदेश की राजधानी होने के नाते लखनऊ के विकास कार्यों की चर्चा हर सरकार में होती है। देश और प्रदेश में जो भी सरकार रही, उसने यहां कुछ न कुछ काम करवाए हैं। सांसद की भी कोशिश रहती है कि वह अपने कार्यकाल में कुछ ऐसा कर सके, जिसकी वह चुनाव में चर्चा कर सके। इनमें एक्सप्रेस वे, मेट्रो, पार्क, रिंग रोड, अस्पताल जैसे मुद्दे चुनावी भाषणों का हिस्सा भी बनते हैं। शहर के बेसिक इन्फ्रास्ट्रक्चर की बात करें तो आज भी लोग दिक्कतों से जूझ रहे हैं। बड़े महानगरों की तरह एक बारिश में ही स्मार्ट सिटी की हकीकत सामने आ जाती है। ड्रेनेज के अलावा ट्रैफिक, पब्लिक ट्रांसपोर्ट जैसी समस्याएं हैं। इन समस्याओं से लोग साल भर जूझते हैं लेकिन चुनावी मुद्दे कभी नहीं बन पाते। इतना ही नहीं यहां के चिकन कारीगरी देश और दुनिया में मशहूर है लेकिन इस परंपरागत काम को करने वाले कारीगरों का दर्द भी सियासी नारों में दबकर रह जाता है।
लखनऊ लोकसभा क्षेत्र का जातीय समीकरण
लखनऊ लोकसभा क्षेत्र के जातीय समीकरण की बात करें तो यहां सामान्य और मुस्लिम वर्ग के मतदाता हैं। जिसमें ब्राह्मणों की संख्या अधिक है। इसके बाद मुस्लिम आबादी है, जिसमें शिया की संख्या ज्यादा है। फिर वैश्य समाज के मतदाता आते हैं। इस सीट पर दलित और ओबीसी मतदाताओं की संख्या सामान्य और मुस्लिम वर्ग की तुलना में बेहद कम है।
लखनऊ लोकसभा क्षेत्र से अब तक चुने गए सांसद
कांग्रेस से विजय लक्ष्मी पंडित 1952 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुनीं गईं।
कांग्रेस से श्योराजवती नेहरू 1955 में लोकसभा उपचुनाव में सांसद चुनीं गईं।
कांग्रेस से पुलिन बिहारी बनर्जी 1957 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
कांग्रेस से बीके धवन 1962 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
निर्दल आनन्द नारायण मुल्ला 1967 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
कांग्रेस से शीला कौल 1971 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुनीं गईं।
जनता पार्टी से हेमवती नन्दन बहुगुणा 1977 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
1980कांग्रेस से शीला कौल 1980 और 1984 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुनीं गईं।
जनता दल से मानधाता सिंह 1989 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
भाजपा से अटल बिहारी वाजपेयी 1991, 1996, 1998, 1999 और 2004 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
भाजपा से लाल जी टंडन 2009 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
भाजपा से राजनाथ सिंह 2014 और 2019 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।